गांधीजी ने भोपाल का समझाया था रामराज्य का मतलब; कहा था- मुसलमान भाई गलत न समझें, रामराज्य से अर्थ है, ईश्वर का राज

महात्मा गांधी का मध्य प्रदेश से गहरा नाता रहा है। गांधीजी आजादी की अलख जागने के लिए देश भ्रमण के दौरान मध्य प्रदेश में भोपाल, इंदौर, उज्जैन, जबलपुर, देवरी, इटारसी, बैतूल, मुलताई, सागर, दमोह पहुंचे थे। 91 साल पहले जब वे भोपाल आए तो बेनजीर ग्राउंड पर उनकी सभा हुई, जिसमें उन्होंने रामराज्य व्यवस्था पर लंबा भाषण दिया था


महात्मा गांधी भोपाल में नवाब हमीदउल्लाह खान के विशेष आग्रह पर महात्मा गांधी 10 सितंबर 1929 को 3 दिन के लिए भोपाल आए थे। कुमारी मीरा बैन, सीएफ एंन्ड्रूज व महादेव भाई देसाई उनके साथ थे। जमुनालाल बजाज व डॉ. जाकिर हुसैन को भी खासतौर से बुलाया गया था। प्रो. आफाक अहमद की पुस्तक 'मध्यप्रदेश में गांधी" में इसका जिक्र है। इसमें बताया गया है कि गांधीजी तब तीन दिन भोपाल में रहे थे और उस दौरान वे राहत मंजिल में ठहरे थे। बाद में इसे गिराकर अहमदाबाद पैलेस बनाया गया है। बेनजीर ग्राउंड में उनकी सभा हुई थी। उस समय गांधीजी ने कहा था कि 'रामराज्य का मतलब हिंदू राज्य कतई नहीं है।' उन्होंने कहा था कि मुसलमान भाई रामराज्य का अर्थ गलत न समझें। रामराज्य से मतलब है, ईश्वर का राज। मेरे लिए राम और रहीम में कोई अंतर नहीं है। मेरे लिए तो सत्य और सतकार्य ही ईश्वर है। 


गांधीजी ने कहा था- पता नहीं, जिस रामराज्य की कल्पना हमें सुनने को मिलती है, वह कभी इस पृथ्वी पर था भी या नहीं, लेकिन प्राचीन रामराज्य का आदर्श प्रजातंत्र के आदर्शों से बहुत कुछ मिलता-जुलता है और कहा गया है कि रामराज्य में दरिद्र से दरिद्र व्यक्ति भी कम खर्च में और अल्पअवधि में न्याय प्राप्त कर सकता था। प्रो. आफाक ने लिखा है कि गांधी ने नवाब हमीदुल्ला खां की तुलना हजरत उमर से की थी। हजरत उमर मोहम्मद साहब के प्रमुख चार साथियों में से एक थे।